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भारत में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन

भारत में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन 1885 ईसवी में कांग्रेस के गठन से हुआ| और 1932 ईसवी में तृतीय गोलमेज सम्मेलन भारत सरकार अधिनियम 1935 को अंतिम रूप प्रदान किया| राष्ट्रीय स्वतंत्र आन्दोलन के कई पडाव थे जिनका विवरण निचे संछिप्त में दिया गया है|

a.       1885 ईसवी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

b.      1905 ईसवी बंगाल विभाजन

c.       1905 से 1906 ईसवी स्वदेशी व स्वराज

d.      1906 ईसवी  मुस्लिम लीग

e.      1907 ईसवी कांग्रेस विभाजन

f.        1911 ईसवी राजधानी परिवर्तन

g.       1914 ईसवी ताना भगत आंदोलन

h.      1916 ईसवी लखनऊ समझौता

i.         1916 ईसवी होमरूल लीग आंदोलन

j.        1917 ईसवी चंपारण सत्याग्रह

k.       1917 ईसवी अगस्त घोषणा

l.         1918 ईसवी खेड़ा सत्याग्रह

m.    1918 ईसवी अहमदाबाद सत्याग्रह

n.      1919 ईसवी रोलेट एक्ट

o.      1919 ईसवी जलियांवाला बाग हत्याकांड

p.      1920 ईसवी खिलाफत आंदोलन

q.      1920 से 1922 ईसवी असहयोग आंदोलन

r.        1923 ईसवी स्वराज पार्टी

s.       1927 - 1928 ईसवी साइमन कमीशन

t.        1928 ईसवी बारदोली सत्याग्रह

u.      1929 ईसवी लाहौर अधिवेशन

v.       1930 ईसवी दांडी मार्च

w.     1930 ईसवी प्रथम गोलमेज सम्मेलन

x.       1931 ईसवी गांधी इरविन समझौता

y.       1931 ईसवी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

z.       1932 ईसवी पूना पैक्ट

aa.   1932 ईसवी तृतीय गोलमेज सम्मेलन

 

Indian National Freedom Movement


राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन

1. 1885 ईसवी - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी ए ओ ह्यूम एवं राष्ट्रवादी नेताओं के प्रयासों से कांग्रेस का गठन हुआ|

पहले इसका नाम इंडियन नेशनल यूनियन था दादा भाई नौरोजी ने संस्था को कांग्रेस का नाम दिया|

व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस के पहले अध्यक्ष थे|

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन मुंबई में हुआ जिसमें 72 सदस्यों ने हिस्सा लिया|

दादा भाई नौरोजी सुरेंद्र बनर्जी फिरोजशाह मेहता गोविंद रानाडे गोपाल कृष्ण गोखले इत्यादि उदारवादी कांग्रेसी नेता थे|

गरम पंथी कांग्रेसी नेताओं में बाल गंगाधर तिलक बिपिन चंद्र पाल तथा लाला लाजपत राय प्रमुख थे|

 

2. 1905 ईसवी - बंगाल विभाजन

20 जुलाई 1950 ईसवी को बंगाल में जारी राष्ट्रीय चेतना को समाप्त करने के उद्देश्य से लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की|

7 अगस्त 1960 से ही बंग बंग विरोधी स्वदेशी अपन बहिष्कार आंदोलन आरंभ हो गया|

आंदोलन का प्रसार पंजाब मुंबई आंध्र प्रदेश तथा मद्रास में भी हुआ|

16 अक्टूबर 1905 ईसवी को शोक दिवस एवं रक्षा बंधन दिवस के रूप में मनाया गया|

आन्दोलन पंजाब, आँध्रप्रदेश, बम्बई और मद्रास में भी फेला|

1905 ईसवी के बाद से समाचार पत्र भी क्रन्तिकारी राष्ट्रवाद का समर्थन करने लगे|

 

3. 1905 से 1906 ईसवी - स्वदेशी व स्वराज

लाल बाल पाल और अरविंद घोष के प्रयासों के फलस्वरूप स्वदेशी व स्वराज की मांग की गई|

 

4. 1906 ईसवी - मुस्लिम लीग

1906 ईसवी में सलीमुल्ला खां एवं आगा खां के नेतृत्व में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई|

मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष वकार-उल-मुल्क मुस्ताक हुसैन थे|

मुस्लिम लीग का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों की निष्ठा में वृद्धि करना तथा मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना था|

 

5. 1907 ईसवी - कांग्रेस विभाजन

1907 ईसवी में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन सूरत में आयोजित किया गया|

इस अधिवेशन में उदारवादी तथा उग्रवादी कांग्रेसी नेताओं के बीच वैचारिक मतभेद सामने आया|

 

6. 1911 ईसवी - राजधानी परिवर्तन

1 अप्रैल 1912 ईसवी में दिल्ली को कोलकाता की जगह भारत की नई राजधानी बनाया गया|

 

7. 1914 ईसवी - ताना भगत आंदोलन

1914 ईसवी में यह बिहार के दक्षिणी भाग अबके झारखंड में आरंभ हुआ|

इस आंदोलन में सत्याग्रह को महत्व दिया गया|

यह आन्दोलन जतरा भगत नामक व्यक्ति के नेतृत्व में हुआ|

यह आंदोलन ऊंची भू राजस्व दर तथा चौकीदारी कर के विरुद्ध आरंभ हुआ|

 

8. 1916 ईसवी - लखनऊ समझौता

1916 ईसवी में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना तथा कांग्रेस के बीच समझौता हुआ जिसके बाद एक संयुक्त समिति का गठन किया गया।

मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस का साथ अधिवेशन लखनऊ में हुआ|

लखनऊ समझोते के द्वारा कांग्रेस में पहली बार मुसलमानों के लिए प्रथक निर्वाचन मंडल की मांग औपचारिक रुप से स्वीकार कर ली।

 

 

9. 1916 ईसवी - होमरूल लीग आंदोलन

होमरूल लीग की स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने बेलगांव पुणे में की

तिलक ने मारा था तथा केसरी नामक समाचार पत्रों का संपादन किया

सितंबर 1916 ईसवी में एनी बेसेंट ने अखिल भारतीय होमरूल लीग का गठन मद्रास में किया

एनी बेसेंट ने कॉमनवेल्थ न्यू इंडिया समाचार पत्र के माध्यम से होम रूल लीग के विचारों का प्रसार किया

 

10. 1917 ईसवी - चंपारण सत्याग्रह

1917 ईसवी में चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर गांधीजी चंपारण आए|

चंपारण में किसानों की स्थिति 3 खटिया पद्धति जिसके अनुसार भूमि के 3/20 में हिस्से पर नील की खेती करना अनिवार्य था के कारण खराब थी

चंपारण सत्याग्रह के दौरान गांधीजी के कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की|

 

11. 1917 ईसवी - अगस्त घोषणा

20 अगस्त 1917 ईसवी में ब्रिटेन की संसद में भारत सचिव मोंटेग्यू एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे अगस्त घोषणा के नाम से जाना जाता है

इस प्रस्ताव के अनुसार भारत में प्रशासन की हर शाखा में भारतीयों को अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान करने की बात की गई

 

12. 1918 ईसवी - खेड़ा सत्याग्रह

1918 ईसवी में खेड़ा में किसान सत्याग्रह की शुरुआत गांधी जी ने किसानों की समस्याओं को लेकर की

 

13) 1918 ईसवी - अहमदाबाद सत्याग्रह

मिल मजदूरों और मिल मालिकों के बीच प्लेग बोनस को लेकर विवाद आरंभ हुआ|

इसी आंदोलन में सर्वप्रथम गाँधी जी भूख हड़ताल पर बैठे| इसमें अनुसूया बहन पटेल गांधीजी की सहायक थी।

 

14) 1919 ईसवी - रोलेट एक्ट

इसके अनुसार बिना किसी प्रमाण के संदिग्ध के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती थी|

इसे आतंकवादी अपराध अधिनियम भी कहा गया भारतीय नेताओं ने इसे काला कानून माना|

इस एक्ट के विरोध में देश भर में हड़ताल की गई|

गांधीजी ने इस कानून के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस में पारित करवाया|

 

15) 1919 ईसवी - जलियांवाला बाग हत्याकांड

पंजाब के लोकप्रिय नेता सैफुद्दीन किचलू तथा सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया जिसके विरोध में 13 अप्रैल 1919 ईसवी को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक जनसभा आयोजित की गई जिस पर जनरल डायर ने गोलियां चलवाई|

इसके विरोध में वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य शंकर नायर ने इस्तीफा दे दिया|

रविंद्र नाथ ठाकुर ने नाइट की उपाधि वापस कर दी|

इस हत्याकांड की जांच हेतु हंटर समिति नियुक्त की गई|

 

16) 1920 ईसवी - खिलाफत आंदोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय की संधि के प्रावधानों के अनुसार तुर्की में खलीफा के पद को समाप्त कर दिया गया जिसके कारण खिलाफत आंदोलन भड़का

1919 ईस्वी में मोहम्मद अली तथा शौकत अली ने अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया

 

17) 1920 से 1922 ईसवी - असहयोग आंदोलन

1920 ईसवी में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुए कोलकाता अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया और कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में इसकी पुष्टि कर दी गई|

गांधी जी ने बहिष्कार की घोषणा की विद्यार्थियों ने विद्यालय और वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया|

मोहम्मद अली पहले नेता थे जिन्हें सर्वप्रथम असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार किया गया|

असहयोग आंदोलन के समय शिक्षा संस्थाओं का सर्वाधिक बहिष्कार बंगाल में हुआ|

गांधी जी ने केसर-ए-हिंद की उपाधि लौटा दी|

17 नवंबर 1921 ईसवी को प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन पर देश में सार्वजनिक हड़ताल की गई|

5 फरवरी 1922 ईसवी को चोरी चोरा में आंदोलनकारियों द्वारा पुलिस स्टेशन को जलाए जाने के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की|

 

18) 1923 ईसवी - स्वराज पार्टी

1923 ईसवी में असहयोग आंदोलन के स्थगित होने के बाद मोतीलाल नेहरू सी आर दास एनसी केलकर ने इलाहाबाद में स्वराज पार्टी का गठन किया

 

19) 1927 से 1928 ईसवी - साइमन कमीशन

इस कमीशन के सभी 7 सदस्य ब्रिटिश थे इस आयोग का कार्य 1919 के अधिनियम के व्यवहारिक सफलता का पता लगाना था|

किसी भारतीय को शामिल नहीं करने के कारण भारत में साइमन कमीशन का विरोध हुआ|

साइमन कमीशन के मुंबई पहुंचने पर हड़ताल आयोजित की गई|

लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए पुलिस की लाठी से लाला लाजपतराय घायल हुए और उनकी मृत्यु हो गई|

 

20) नेहरु रिपोर्ट

मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में एक समिति घटित की गई जिसमें संविधान के सिद्धांतों को निर्धारित किया।

इस रिपोर्ट में मुसलमानों को प्रथक निर्वाचन मंडल देने से मना किया गया|

मुस्लिम लीग तथा सीख समुदाय दोनों ही नेहरु रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थे।

 

21) जिन्ना फॉर्मूला

नेहरु रिपोर्ट के समानांतर जिन्ना ने भी 14 सूत्री फॉर्मूला तैयार किया।

जिन्ना फॉर्मूले में प्रथक निर्वाचन मंडल के स्थान पर, केंद्रीय सदन में स्थान तथा पंजाब और बंगाल में 50% आरक्षण मुसलमानों को देने की बात रखी गई।

 

22) 1928 ईसवी - बारदोली सत्याग्रह

गुजरात के बारदोली में किसानों पर 30% अतिरिक्त लगान की वृद्धि की गई इसका किसानों ने विरोध किया|

बारदोली के किसानों के आंदोलन का नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया|

बाद में सरकार ने 30% लगान वृद्धि को वापस लिया तथा इस नदी को 6.5 प्रतिशत रहने दिया|

बारदोली सत्याग्रह की सफलता के बाद यहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी|

 

23) 1929 ईसवी - लाहौर अधिवेशन

1929 ईसवी में लाहौर में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन आयोजित हुआ|

लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की|

इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का कांग्रेस का अंतिम लक्ष्य निर्धारित किया गया|

 

24) 1930 ईसवी - दांडी मार्च

गांधीजी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी तट की यात्रा आरंभ की।

इस यात्रा का उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था इस कारण से नमक सत्याग्रह भी कहा जाता है

6 अप्रैल 1930 ईसवी को नमक कानून तोड़कर गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ कर दिया

 

25) 1930 ईसवी - प्रथम गोलमेज सम्मेलन

12 नवंबर 1930 से 13 जनवरी 1931 ईसवी तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लंदन में हुआ

इस सम्मेलन का उद्घाटन ब्रिटेन के सम्राट जार्ज पंचम ने किया तथा अध्यक्षता प्रधानमंत्री रैमजे मैकडॉनल्ड ने की थी

इस सम्मेलन में कांग्रेसी ने भाग नहीं लिया था

 

26) 1931 ईसवी - गांधी इरविन समझौता

5 मार्च 1931 ईसवी को गांधीजी तथा तत्कालीन वायसराय अरविंद के बीच समझौते पत्र पर हस्ताक्षर हुए इसे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है

समझोते में गांधीजी की कई मांगों को मान लिया गया

कांग्रेस की ओर से सभी ने होगी आंदोलन वापस लेने का आश्वासन दिया गया तथा गांधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने का प्रस्ताव मान लिया

जिस समय कांग्रेस का कराची अधिवेशन चल रहा था उसी समय भगत सिंह राजगुरु एवं सुखदेव को फांसी दी गई।

 

27) 1931 ईसवी - द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

7 सितंबर से 1 दिसंबर 1931 ईसवी तक सम्मेलन का आयोजन लंदन में किया गया|

गांधीजी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में इस सम्मेलन में भाग लिया|

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन असफल रहा था था भारत वापस आकर गांधीजी ने पुणे सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया|

 

28) सांप्रदायिक पनचाट

तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मैकडॉनल्ड ने कम्मयुनल अवॉर्ड जारी किया|

इसकी अनुसार मुसलमानों सीखो भारतीय ईसाईयों के साथ दलित वर्ग के लिए भी प्रथक निर्वाचन पद्धति लागू की गई|

 

29) 1932 ईसवी - पूना पैक्ट

महात्मा गांधी ने दलितों को प्रथक निर्वाचन मंडल प्रधान करने वाले सम्मेलन अवार्ड का विरोध करने के लिए यार बता जेल में आमरण अनशन आरंभ किया|

बी आर अंबेडकर तथा गांधीजी के बीच एक समझौता हुआ जिसमें दलितों के लिए 71 स्थान की जगह सुरक्षित स्थानों की संख्या 148 करने तथा संयुक्त निर्वाचक मंडल स्वीकार करने की बात कही गई इसे पूना पैक्ट कहा गया|

केंद्रीय विधान मंडल में 18% सीटें दलित वर्ग के लिए आरक्षित हो गई|

 

30) 1932 ईसवी - तृतीय गोलमेज सम्मेलन

17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 ईसवी तक लंदन में तीसरे गोल में सम्मेलन का आयोजन किया गया|

भारतीय कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया|

तीसरे गोलमेज सम्मेलन में भारत सरकार अधिनियम 1935 को अंतिम रूप प्रदान किया|




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