संघीय विधायिका
भारत में केंद्रीय व्यवस्थापिका को
संसद के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
भारतीय संसद का गठन “राष्ट्रपति, राज्यसभा एवं लोकसभा” से मिलकर होता है।
राज्यसभा:-
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80 संसद के ‘उच्च सदन’ के रूप में
राज्यसभा का उल्लेख करता है।
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राज्यसभा में सदस्यों की अधिकतम
संख्या 250 हो सकती है।
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इसके सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है।
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233 सदस्यों का चुनाव 29 राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली व पुदुचेरी) के विधान मंडल द्वारा किया जाता है तथा शेष 12 सदस्यों का मनोनयन राष्ट्रपति द्वारा
किया जाता है।
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राज्यसभा का गठन 6 वर्ष के लिए होता है।
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राज्यसभा एक स्थाई सदन है जो कभी भी भंग
नहीं किया जा सकता है।
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प्रत्येक 2 वर्ष पश्चात इसके 1/3
सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य स्थान ग्रहण
करते हैं।
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राष्ट्रपति वर्ष में कम से कम 2 बार राज्यसभा का अधिवेशन आहूत करता
है।
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राज्य सभा की अंतिम बैठक और अगले सत्र
की प्रथम बैठक में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
राज्यसभा सदस्य के अनिवार्य योग्यताएं:-
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वह भारत का नागरिक हो।
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उसकी आयु 23 वर्ष से कम न हो।
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वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन
किसी लाभ पद पर न हो।
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वह पागल या दिवालीया न हो।
सभापति:-
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भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का
पदेन सभापति होता है।
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राज्यसभा के सदस्यों में से एक
उपसभापति का निर्वाचन किया जाता है।
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सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति
सभापति के कर्तव्य का पालन करता है।
शक्तियां व कार्य:-
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राज्यसभा, लोकसभा के साथ मिलकर कानून
बनाती हैं संविधान में संशोधन करती है।
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संसद का अभिन्न अंग होने के कारण राज्यसभा
की सहमति के कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता।
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संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त
है कि वह अखिल भारतीय सेवाओं का सर्जन कर सके।
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अनुच्छेद 249 के तहत राज्यसभा को यह अधिकार है कि वह राज्य सूची के किसी विषय को
राष्ट्रपति महत्व का घोषित कर सकें।
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राज्यसभा ने अपने इस अधिकार का प्रयोग
अब तक दो बार 1952 और 1986 में किया है।
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राज्यसभा, लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति व
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में शामिल होती है|
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वह लोकसभा के साथ मिलकर महाभियोग प्रक्रिया में भाग
लेती है|
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1 माह से अधिक अवधि तक आपातकाल लागू रखना हो तो उस प्रस्ताव का
अनुमोदन वह लोकसभा की सहमति से करती है।
लोकसभा:-
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81 के अंतर्गत लोकसभा का गठन 5 वर्ष के लिए किया जाता है।
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लोकसभा भारतीय संसद का ‘निम्न सदन’
है जिसमें जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि भाग लेते हैं।
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लोकसभा का विघटन प्रधानमंत्री के कहने
पर राष्ट्रपति करता है।
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लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 है तथा वर्तमान में
लोकसभा में सदस्यों की संख्या 545
है।
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543 सदस्य विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश की जनता द्वारा
प्रत्यक्ष रूप से व्यस्क मताधिकार के आधार
पर गुप्त मतदान प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं।
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2 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। ये आंग्ल भारतीय समुदाय का
प्रतिनिधित्व करते हैं।
लोकसभा सदस्य की अनिवार्य योग्यताएं:-
·
वह भारत का नागरिक हो।
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उसकी आयु 25 वर्ष से कम न हो।
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वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन
किसी लाभ के पद पर आसीन न हो।
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वह पागल या दिवालिया ना हो।
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संसद की किसी विधि के अंतर्गत आयोगय न
हो।
कार्यकाल:-
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लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है किंतु प्रधानमंत्री के
परामर्श पर राष्ट्रपति इसे समय से पूर्व भी भंग कर सकता है।
लोकसभा की शक्तियां एवं कार्य:-
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लोकसभा, राज्यसभा व राष्ट्रपति के साथ
मिलकर कानून का निर्माण करती है।
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बजट पारित करना तथा कोई विधेयक धन
विधेयक है या नहीं यह फैसला लोकसभा का अध्यक्ष करता है।
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लोकसभा, राज्यसभा के साथ मिलकर
संविधान में संशोधन करती है।
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मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के
प्रति उत्तरदाई होता है।
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लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर
राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय
के न्यायाधीशों के विरुद्ध साबित कदाचार तथा अक्षमता के विरुद्ध विशेष प्रस्ताव
पारित करती है।
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लोकसभा में विपक्ष के नेता को कैबिनेट
स्तर के मंत्री के बराबर का सम्मान प्राप्त होता है।
संसद सदस्यों के विशेषाधिकार:-
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सदन द्वारा निर्मित नियमों के अंतर्गत
संसद के सदस्यों को सदन में भाषण की पूर्ण स्वतंत्रता है।
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सदस्यों को दीवानी मामले में सदन की
बैठक के 40 दिन पूर्व व 40
दिन बाद तक बंदी नहीं बनाया जा सकता।
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संसद के किसी भी सदन के आदेशानुसार
छापी गई किसी रिपोर्ट पर पर्चे अथवा कार्यवाही के लिए उनके विरुद्ध न्यायालय में कार्यवाही
नहीं की जा सकती।
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सदन की अनुमति के बिना संसद के
अधिवेशन के दौरान किसी भी सदस्य को गवाही देने के लिए नहीं कहा जा सकता।
संसद के सत्र:-
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भारतीय संसदीय व्यवस्था में संसद के ‘तीन
सत्र’ होते हैं।
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दो सत्रों के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
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बजट सत्र इस सत्र के दौरान आम बजट और रेल बजट प्रस्तुत एवं पारित किया जाता
है यह सत्र फरवरी से मई तक चलता है।
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मानसून सत्र इस सत्र की कार्यविधि जुलाई से अगस्त
माह तक होती है।
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शीतकालीन सत्र सबसे कम समय की कार्यवाही है जो नवंबर से दिसंबर तक की होती है।
सदन का विघटन, सत्रावसान तथा स्थगन:-
1) विघटन
केवल लोकसभा का ही विघटन हो सकता है।
यह दो प्रकार से हो सकता है।
a)
5 वर्षों के कार्यकाल की समाप्ति पर अथवा आपातकाल के दौरान विस्तारित
अवधि की समाप्ति पर
b)
अनुच्छेद 85 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा विघटित किए जाने पर।
2) सत्रावसान
इससे संसद के किसी सत्र विशेष का
समापन हो जाता है।
सत्रावसान मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति
द्वारा किया जाता है।
यदि सदन स्थगित कर दिया गया हो तो भी सत्रावसान किया जा सकता है।
3) स्थगन
यह सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा
घोषित सदन के सत्र के अंदर ही होने वाला लघु विराम है
इसका काल कुछ मिनटों से लेकर कुछ
दिनों तक का हो सकता है।
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