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बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य । अंग्रेजों के मैसूर से संबंध। सिक्ख मुग़ल एवं अंग्रेज

 आधुनिक भारत के इतिहास की शुरुआत में जब ईस्ट इंडिया कंपनी सबसे शक्तिशाली शाषक के रूप में उभरी तो1600 ईसवी में व्यापार करने के इरादे से भारत आए अंग्रेजो ने धीरे धीरे भारत पर अपना आधिपत्य करना आरम्भ कर दिया| जिसकी शुरुआत बंगाल पर अंग्रेजो के अधिपत्य से हुई| इस ब्लॉग में मैंने बंगाल पर अंग्रेजों के आधिपत्य को सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की है| उम्मीद है आपको ये पसंद आए|


बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य

मुगल सामराज्य के अंतर्गत आने वाले प्रांतो में बंगाल सर्वाधिक संपन्न राज्य था|

मुर्शिद कुली खां स्वतंत्र बंगाल का शासक था परंतु वह नियमित रूप से मुगल बादशाह को राजस्व भेजता था|

1740 ईसवी में गिरिया के युद्ध में सरफराज को मारकर बिहार का सर सूबेदार अलिवर्दी खां बंगाल का नवाब बना|

इसने अपने शासनकाल में मुगलों को राजस्व देना बंद कर दिया और इसके शासनकाल में बंगाल इतना समृद्ध शाली हो गया कि बंगाल को भारत का स्वर्ग कहा जाने लगा इसका उत्तराधिकारी इसका दामाद सिराजुद्दौला हुआ

20 जून 1756 ईसवी में काल कोठरी की त्रासदी नामक घटना घटी जिसे ब्लैक होल ट्रेजेडी कहा गया| जिसमें 146 अंग्रेज व्यक्तियों को एक कोठरी में रात भर क लिए बंद किया गया और सुबह सिर्फ 23 व्यक्ति बचे|

23 जून 1757 ईसवी में प्लासी का युद्ध, अंग्रेजों के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ| जिसमें नवाब अपने सेनापति मीर जाफर की धोखाधड़ी के कारण पराजित हुआ| अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाया|

1764 ईस्वी में बक्सर का युद्ध, अंग्रेजों एवं मीर कासिम, अवध नवाब शुजाउदौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच हुआ| इस युद्ध में अंग्रेज विजई हुए| इस युद्ध में अंग्रेज सेनापति हेक्टर मुनरो था


अंग्रेजो ने बंगाल पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के बाद भारत के अन्य छेत्रो पर भी अपना आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश की| जिसके बाद अंग्रेजो ने मैसूर से अपने संबंधों को बढ़ाने का प्रयास किया और सफल भी हुए|


अंग्रेजों के मैसूर से संबंध

1761 ईस्वी में हैदर अली मैसूर का शासक बना|

1782 ईस्वी में द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध के दौरान हैदर अली की मृत्यु हुई| 

हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टीपू सुल्तान हुआ|

1787 ईस्वी में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपटना में स्थापित कर पादशाह की उपाधि धारण की|

1799 ईस्वी में श्रीरंगपट्टनम के आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध के दौरान टीपू की मृत्यु हुई| 

टीपू सुल्तान को शेर-ए-मैसूर कहा जाता था


1767-1769 ईसवी में प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध हुआ यह मद्रास की संधि से समाप्त हुआ

1780-1784 ईसवी में द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध हुआ यह वारेन हेस्टिंग मंगलूर की संधि से समाप्त हुआ

1790-1792 ईसवी में तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध हुआ यह कार्नवालिस श्रीरंगपट्टनम की संधि से समाप्त हुआ

1799 ईस्वी में चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध हुआ 


सिक्ख सम्प्रदाय की स्थापना गुरु नानक प्रथम ने की जो मुग़ल शाषक बाबर व हुमायूं के समकालीन थे| मुग़ल शाषकों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे इस लेख को पढ़ सकते हैं| सिखों के 10 गुरु हुए| जिनका विवरण उनके समयानुसार निचे दिया गया है| 

सिक्ख मुग़ल एवं अंग्रेज

सिक्ख सम्प्रदाय की स्थापना गुरु नानक प्रथम ने की|

गुरु नानक बाबर व हुमायूं के समकालीन थे|

गुरुनानक ने गुरु का लंगर नामक निशुल्क भोजनालय स्थापित किये|

गुरुनानक ने अनेक स्थानों पर सांगत (धर्मशाला) और पंगत (लंगर) स्थापित किये|

1538 ईस्वी में करतारपुर में इनकी मृत्यु हुई|


1539 से 1552 ईसवी में दूसरे गुरु - गुरु अंगद हुए

इन्होने गुरुमुखी लिपि का आरंभ किया


1552 से 1574 ईसवी में तीसरे गुरु - गुरु अमर दास हुए 

इन्होने हिंदुओं से अलग विवाह पद्धति लवन को प्रचलित किया

ये अकबर के समकालीन थे|

अकबर ने गुरु अमरदास से गोविन्दवल जाकर भेंट की और गुरु पुत्री बीबी भानी को कई गांव दान में दी|


1574 से 1581 ईसवी में चौथे गुरु - गुरु रामदास हुए 

अकबर ने गुरु रामदास की पत्नी बीबी भानी को 500 बीघा भूमि दी इसे भूमि पर अमृतसर नामक जलाशय खुद वाया और अमृतसर नगर की स्थापना की गई|

गुरु रामदास ने अपने तीसरे पुत्र अर्जुन को गुरु पद सोंपा और गुरु पद को पैतृक बना दिया|


1581 से 1606 ईस्वी में पांचवे गुरु - गुरु अर्जुन हुए

इन्होने सिखों के धार्मिक ग्रंथ आदि ग्रंथ की रचना की|

अमृतसर जलाशय के मध्य हरमंदिर साहिब गोल्डन टेंपल का निर्माण करवाया|

1606 ईसवी में जहांगीर के पुत्र खुसरो  की सहायता करने के कारण जहांगीर ने इनकी हत्या करा दी थी|


1606 से 1645 ईसवी में छठे गुरु - गुरु हरगोविंद हुए

इन्होने सिखों को सैन्य संगठन का रूप दिया|

अकाल तख़्त या इश्वर के सिंघासन का निर्माण करवाया| 

ये दो तलवार बांध कर गद्दी पर बैठते थे| 

इन्होने अमृतसर की किलेबंदी की|


1645 से 1661 ईसवी में सातवें गुरु - गुरु हर राय हुए 

इन्होंने दारा शिकोह को मिलने आने पर आशीर्वाद दिया|


1661 से 1664 ईसवी में आठवें गुरु - गुरु हरकिशन हुए 

इन्होने दिल्ली जाकर औरंगजेब को गुरुपद के बारे में समझाया|

इनकी मृत्यु चेचक से हुई


1664 से 1675 ईसवी में नौवें गुरु - गुरु तेग बहादुर हुए 

इस्लाम ना स्वीकार करने के कारण औरंगजेब ने उन्हें मरवा दिया|


1675 से 1708 ईसवी में दसवें एवं अंतिम गुरु - गुरु गोविंद सिंह हुए 

इनका जन्म पटना में हुआ|

इन्होने अपने आप को सच्चा पादशाह कहा|

इन्होने सिखों के लिए पांच कंकार अनिवार्य किए केश, कंघा, कृपाण, कक्षा, और कड़ा|

1699 ईसवी में वैशाखी के दिन गुरुगोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की 

सिखों के धार्मिक ग्रन्थ आदिग्रंथ को वर्तमान रूप दिया और कहा की अब गुरुवाणी ही सिख सम्प्रदाय की गुरु का काम करेगी| इस प्रकार वे सिखों के अंतिम गुरु हुए|


आधुनिक भारत के इतिहास का प्रारंभ यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के भारत में आगमन से हुआ इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए यह लेख पढ़ें|



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